भक्ति एवं धर्म से संबंधित रोचक तथ्य(33)

एक बार डिस्कवरी की टीम कैलाश पर्वत पर्वत पर चढ़ाई करने के लिए गयी थी लेकिन उनमें से कोई भी इस पर्वत पर चढ़ नहीं सका, आखिर में इन लोगों को यहां से वापस जाना पड़ा। इस पर्वत के बारे में जानकारी रखने वाले लोग कहते हैं कि इस पर्वत पर सिर्फ अच्छी आत्माएं ही प्रवेश कर सकती हैं।

एक बार डिस्कवरी की टीम कैलाश पर्वत पर्वत पर चढ़ाई करने के लिए गयी थी लेकिन उनमें से कोई भी इस पर्वत पर चढ़ नहीं सका, आखिर में इन लोगों को यहां से वापस जाना पड़ा। इस पर्वत के बारे में जानकारी रखने वाले लोग कहते हैं कि इस पर्वत पर सिर्फ अच्छी आत्माएं ही प्रवेश कर सकती हैं।

रूस के एक वैज्ञानिक ने कैलाश पर्वत पर काफी शोध किया था जिसके बाद उन्होंने दावा किया कि इस पर्वत पर कई तरह की अलौकिक शक्तियों का प्रवाह होता रहता है। यहां पर पहुंचने वाला व्यक्ति इन अलौकिक शक्तियों को महसूस कर सकता है। इस पर्वत पर केवली अच्छी शक्तियों का ही निवास है इसी कारण यहां तक हर कोई नहीं पहुंच सकता है।

रूस के एक वैज्ञानिक ने कैलाश पर्वत पर काफी शोध किया था जिसके बाद उन्होंने दावा किया कि इस पर्वत पर कई तरह की अलौकिक शक्तियों का प्रवाह होता रहता है। यहां पर पहुंचने वाला व्यक्ति इन अलौकिक शक्तियों को महसूस कर सकता है। इस पर्वत पर केवली अच्छी शक्तियों का ही निवास है इसी कारण यहां तक हर कोई नहीं पहुंच सकता है।

काशी में भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रगट हुए थे, सम्राट विक्रमादित्य ने विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। मुग़ल काल में मंदिर को लूटने आए महमूद गजनवी के भांजे सालार मसूद को सम्राट सुहेल देव पासी ने मौत के घाट उतारा था।

काशी में भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रगट हुए थे, सम्राट विक्रमादित्य ने विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। मुग़ल काल में मंदिर को लूटने आए महमूद गजनवी के भांजे सालार मसूद को सम्राट सुहेल देव पासी ने मौत के घाट उतारा था।

काशी को आदि सृष्टि स्थली कहा गया है, काशी में ही भगवान विष्णु ने सृष्टि उत्पन्न करने की कामना से तपस्या करके आशुतोष को प्रसन्न किया था और फिर उनके शयन करने पर उनके नाभि-कमल से ब्रह्मा उत्पन्न हुए, जिन्होने सारे संसार की रचना की।

काशी को आदि सृष्टि स्थली कहा गया है, काशी में ही भगवान विष्णु ने सृष्टि उत्पन्न करने की कामना से तपस्या करके आशुतोष को प्रसन्न किया था और फिर उनके शयन करने पर उनके नाभि-कमल से ब्रह्मा उत्पन्न हुए, जिन्होने सारे संसार की रचना की।

प्रलयकाल में भी काशी का लोप नहीं होता, प्रलय के समय महादेव इसे अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं और सृष्टि काल आने पर इसे नीचे उतार देते हैं। इसी कारण काशी को अविनाशी नगरी कहा गया है जिसका कभी अंत नहीं हुआ।

प्रलयकाल में भी काशी का लोप नहीं होता, प्रलय के समय महादेव इसे अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं और सृष्टि काल आने पर इसे नीचे उतार देते हैं। इसी कारण काशी को अविनाशी नगरी कहा गया है जिसका कभी अंत नहीं हुआ।

काशी को प्रकाश का नगर भी कहते हैं, प्रकाश ज्योति शिव को कहते हैं। काशी को अविमुक्त कहा गया है अर्थात वह स्थान जिसको शिवजी ने कभी भी नहीं छोड़ा। इसी कारण इसे आनंद वन और रुद्रवास भी कहा गया हैं।

काशी को प्रकाश का नगर भी कहते हैं, प्रकाश ज्योति शिव को कहते हैं। काशी को अविमुक्त कहा गया है अर्थात वह स्थान जिसको शिवजी ने कभी भी नहीं छोड़ा। इसी कारण इसे आनंद वन और रुद्रवास भी कहा गया हैं।

चीनी यात्री हुएन सांग (629-675) ने अपनी काशी यात्रा के उल्लेख में यहाँ 100 फुट ऊंची शिव मूर्ती वाले विशाल तथा भव्य मंदिर का वर्णन किया है। स्कंद पुराण के 15000 श्लोको में भी काशी विश्वनाथ के गुणगान का वर्णन मिलता है, यह मंदिर हजारो वर्ष पुराना है।

चीनी यात्री हुएन सांग (629-675) ने अपनी काशी यात्रा के उल्लेख में यहाँ 100 फुट ऊंची शिव मूर्ती वाले विशाल तथा भव्य मंदिर का वर्णन किया है। स्कंद पुराण के 15000 श्लोको में भी काशी विश्वनाथ के गुणगान का वर्णन मिलता है, यह मंदिर हजारो वर्ष पुराना है।

5,000 वर्ष पूर्व जब विश्व की अधिकतर सभ्यताएं आदिवासी जीवन व्यतीत करती थीं, तब भारत की सिन्धु घाटी सभ्यता पूरी तरह से विकसित सबसे समृद्ध मानव सभ्यता थी।

5,000 वर्ष पूर्व जब विश्व की अधिकतर सभ्यताएं आदिवासी जीवन व्यतीत करती थीं, तब भारत की सिन्धु घाटी सभ्यता पूरी तरह से विकसित सबसे समृद्ध मानव सभ्यता थी।

बनारस दुनिया का सबसे प्राचीन शहर है, भगवान बुद्ध यहाँ के सारनाथ में 500 ईशा पूर्व आये थे। तब भी यह शहर मौजूद था और आज सदियों बाद भी यह एक ज़िंदा शहर है जो कभी ख़त्म नहीं हुआ।

बनारस दुनिया का सबसे प्राचीन शहर है, भगवान बुद्ध यहाँ के सारनाथ में 500 ईशा पूर्व आये थे। तब भी यह शहर मौजूद था और आज सदियों बाद भी यह एक ज़िंदा शहर है जो कभी ख़त्म नहीं हुआ।

100 सालों से भी ज्यादा लंबे वक्त से छत्तीसगढ़ की रामनामी समाज में एक अनोखी परंपरा चली आ रही है। इस समाज के लोग पूरे शरीर पर राम नाम का टैटू बनवाते हैं, लेकिन न मंदिर जाते हैं और न ही मूर्ति पूजा करते हैं।

100 सालों से भी ज्यादा लंबे वक्त से छत्तीसगढ़ की रामनामी समाज में एक अनोखी परंपरा चली आ रही है। इस समाज के लोग पूरे शरीर पर राम नाम का टैटू बनवाते हैं, लेकिन न मंदिर जाते हैं और न ही मूर्ति पूजा करते हैं।

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